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जनतन्त्र की सफलता के लिए सुझाव | Suggestions for Success of Democracy in Hindi

जनतन्त्र की सफलता के लिए सुझाव | Suggestions for Success of Democracy in Hindi
जनतन्त्र की सफलता के लिए सुझाव | Suggestions for Success of Democracy in Hindi

जनतन्त्र की सफलता के सम्बन्ध में कुछ सुझाव दीजिए।

जनतन्त्र की सफलता के लिए सुझाव (Suggestions for Success of Democracy)

1. भ्रातृत्व की भावना – जनतन्त्र का एक मुख्य आधार भ्रातृत्व की भावना है। जनतन्त्र अथवा जनतन्त्रीय सरकार की स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि जनता में भाईचारे की भावना उत्पन्न की जाये, क्योंकि भाईचारे के आधार पर ही सामूहिक और राष्ट्रीय चेतना का विकास होता है। यह देखा गया है कि एक समाज के लोगों में यदि राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व की भावना है तो निश्चय ही वह राष्ट्र के लिए संघर्ष अपने स्वार्थों का बलिदान कर राष्ट्र के लिए योगदान दे सकते हैं तथा इस प्रकार जनतान्त्रिक व्यवस्था को सफल बनाया जा सकता है।

2. स्वतन्त्रता – जनतन्त्र के दोष मुक्त होने के लिए आवश्यक है कि जनमत की स्वतन्त्रता हो । समाचार पत्र तथा अन्य प्रकाशनालयों की सामग्री दलबन्दी से मुक्त होनी चाहिए, बल्कि इनको स्वतन्त्रता भी चाहिए। इस स्वतन्त्रता के कारण जनता की समस्याएँ मूल रूप में सामने आ सकती हैं। सम्पन्न जनतन्त्र के लिए यह भी आवश्यक है कि जनता को अपने व्यक्तित्व को एक आदर्श रूप में विकसित करने के लिए स्वतन्त्रता होनी चाहिए, किन्तु इस प्रकार की स्वतन्त्रता का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि जनता कुछ भी करने को स्वतन्त्र हो । स्वतन्त्रता का अर्थ स्वस्थ स्वतन्त्रता है।

3. शिक्षा – जनतन्त्र की सफलता के लिए या जनतन्त्र के दोषों को दूर करने के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि जनता को शिक्षित किया जाए। यहाँ पर शिक्षा का तात्पर्य यह नहीं है कि जनता को केवल साधारण पढ़ने-लिखने की शिक्षा ही दी जाये वरन् यह है कि शिक्षा के द्वारा उनके विचारों और आदर्शों को इस प्रकार विकसित किया जाये कि वह जनतन्त्र तथा उसकी भलाइयों और बुराइयों को सीख सके। शिक्षा द्वारा जनता के प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। जनता को विभिन्न संस्थाओं की संरचना, चुनाव तथा चुनाव प्रणाली को भी शिक्षा के द्वारा समझाया जा सकता है।

4. अन्य सुझाव- सफल जनतन्त्र के लिए यह भी आवश्यक है कि सत्यवादिता, स्थिरता, निःस्वार्थता एवं न्यायोचित व्यवहार करने का प्रशिक्षण भी आवश्यक है। इस प्रकार का प्रशिक्षण केवल जनता के लिए ही नहीं, बल्कि जनता के प्रतिनिधियों के लिए भी आवश्यक है। इन नैतिक गुणों का जब तक उत्थान नहीं होगा, तब तक स्वस्थ जनतन्त्र का पनपना कठिन कार्य है। सफल जनतन्त्र के लिए यह भी आवश्यक है कि सभी व्यक्तियों को समान सुविधाएँ और उन्नति के अवसर दिए जाएँ। कुछ व्यक्तियों तथा वर्गों को अधिक महत्व देने से मनमुटाव, तनाव आदि की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं, भाईचारा समाप्त होने लगता है। ऐसी स्थिति में जनतन्त्र में दोष उत्पन्न हो जाते हैं। सफल जनतन्त्र को खतरा उत्पन्न हो जाता है। सफल जनतन्त्र के लिए खाना, कपड़ा तथा मकान की व्यवस्था भी आवश्यक है। किसी भी देश की भूखी, नंगी जनता को किसी भी प्रकार की नैतिकता और शासन व्यवस्था सिखाना एक अति कठिन कार्य है। अतः व्यक्तियों की इन मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी सफल जनतन्त्र का अंग है।

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Anjali Yadav

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