निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
निर्देशन की विशेषतायें (Characteristics of Guidance)
निर्देशन की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
1. निर्देशन निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है- निर्देशन प्रक्रिया एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। प्रत्येक आयु स्तर पर निर्देशन की आवश्यकता होती है। यदि यह समाप्त हो जाये तो इस प्रक्रिया का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।
2. निर्देशन एक प्रक्रिया है- निर्देशन व्यक्ति को मार्ग दर्शन प्रदान करने वाली एक प्रक्रिया है, जिससे वह अपनी आन्तरिक शक्तियों को पहचान कर स्वयं ही अपने लक्ष्यों का निर्धारण कर सके। अवलोकन, साक्षात्कार, परीक्षण तथा व्यक्तिगत निरीक्षण आदि विधियाँ इस प्रक्रिया में सम्मिलित हैं।
3. निर्देशन व्यक्ति केन्द्रित है- निर्देशन प्रक्रिया व्यक्ति केन्द्रित होती है। अन्य शब्दों में, यह प्रक्रिया व्यक्ति की समस्याओं को ध्यान में रखकर ही प्रारम्भ की जाती है।
4. निर्देशन जीवन से सम्बन्धित है- निर्देशन प्रक्रिया का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, क्योंकि व्यक्ति इसके आधार पर अपने जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान करता है तथा इस प्रकार अपने जीवन को सुखमय बनाने की ओर अग्रसर होता है। जीवन में यह प्रक्रिया औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही रूपों में योगदान देती है।
5. निर्देशन आत्म-निर्देशन की प्रक्रिया- निर्देशन की प्रक्रिया को आत्म-निर्देशन की प्रक्रिया स्वीकार किया गया है, क्योंकि यह प्रक्रिया व्यक्ति में स्व-विवेक तथा अन्तर्दृष्टि का विकास करती है, जिससे वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सके तथा उपयुक्त निर्णय ले सके।
6. निर्देशन एक जटिल प्रक्रिया है- निर्देशन एक जटिल प्रक्रिया है अर्थात् इस प्रक्रिया में कई अन्य उप-क्रियायें भी शामिल होती हैं, जैसे—व्यक्ति का अध्ययन, साक्षात्कार, परामर्श, संचित अभिलेख तैयार करना ।
7. निर्देशन समायोजन में सहायक है- निर्देशन की अनेक परिभाषाओं में इस बात पर बल दिया गया है कि व्यक्ति स्वयं से, अन्य व्यक्तियों से और परिस्थितियों से समायोजन करे। इस प्रकार निर्देशन की प्रक्रिया समायोजन में भी सहायक है।
8. निर्देशन शिक्षा की उपक्रिया के रूप में – निर्देशन को शिक्षा की उपक्रिया के रूप में भी स्वीकार किया गया है। शिक्षा का कार्यक्रम अत्यन्त विस्तृत होता है तथा निर्देशन उस प्रक्रिया का एक अंग मात्र है।
9. निर्देशन व्यक्तिगत सहायता के रूप में- निर्देशन को व्यक्तिगत सहायता के रूप में भी जाना जाता है, भले ही यह निर्देशन सामूहिक रूप से ही क्यों न दिया जाये, क्योंकि निर्देशन के द्वारा व्यक्ति विशेष के व्यक्तिगत विकास को दिशा प्रदान करना होता है न कि किसी समूह को।
10. निर्देशन एक शैक्षिक सेवा के रूप में- निर्देशन को अब एक शैक्षिक सेवा माना जाने लगा है। शिक्षा आयोग (1964-66) के अनुसार- “निर्देशन शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। इसका अर्थ बड़ा व्यापक है। शैक्षिक तथा व्यावसायिक चुनाव के अतिरिक्त यह व्यक्ति की शिक्षण संस्थाओं की परिस्थितियों के साथ समायोजन करने में सहायता प्रदान करती है।
11. निर्देशन व्यक्तिगत विभिन्नताओं पर आधारित है- निर्देशन देने से पहले व्यक्ति की विभिन्नताओं का अध्ययन करना आवश्यक होता है, क्योंकि निर्देशन की प्रक्रिया व्यक्ति की प्रतिभाओं, रुचियों, योग्यताओं, क्षमताओं तथा सीमाओं पर आधारित है।
12. सभी के लिए निर्देशन- निर्देशन की आवश्यकता वस्तुतः सभी प्रकार के छात्रों के लिए है। इतना ही नहीं बल्कि यह व्यक्ति के विकास की सभी अवस्थाओं में आवश्यक हो चुका है।
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