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राष्ट्रीय जनसंख्या नीति तथा विकास | National Population Policy and Development in Hindi

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति तथा विकास | National Population Policy and Development in Hindi
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति तथा विकास | National Population Policy and Development in Hindi

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति तथा विकास

भारत में अपनी जनता के लिए उच्च जीवन-स्तर तथा बेहतर अवसर प्राप्त करने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा विकास का मार्ग चुना है। तीव्र जनसंख्या वृद्धि एवं तत्सम्बन्धित साधनों में अनुरूप वृद्धि के अभाव के कारण प्रति व्यक्ति जीवन-स्तर सम्भवतः बिल्कुल निम्न है। जन्म दर को घटाने के लिए कोई प्रभावकारी संस्थागत उपाय नहीं हो पाया है। इसके विपरीत, मृत्यु दर को घटाने के प्रयास बहुत सफल रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर के कारण देश में आर्थिक प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना जरूरी है। अतः सरकार और ऐच्छिक संस्थाओं को जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण करने जैसा महत्वपूर्ण उपाय करने की जरूरत है। जनसंख्या वृद्धि की ऐसी परिस्थिति में परिवार नियोजन के उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं। जनसंख्या वृद्धि एक गम्भीर समस्या बन चुकी है तथा भारत में विकास के लिए एक चुनौती भी बन गई है।

जन्म दर को घटाने के लिए भारत ने परिवार नियोजन की नीति को अपनाया है। 1996 में स्वास्थ्य मंत्रालय में परिवार नियोजन विभाग खोला गया था। परिवार नियोजन के अन्तर्गत जन्म दर को कम करने वाले अभिप्रेरणात्मक उपायों को अपनाया गया है। अप्रैल 1996 में एक व्यापक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति अपनाई गई थी तथा 1981 में इसको संशोधित किया गया। इस नीति का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन को भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना से एकीकृत करना था। विवाह के लिए लड़कियों की आयु 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी गई।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का उद्देश्य स्वयं एवं अपनी संतान के कल्याण हेतु लघु नियोजित परिवारों की आवश्यकता पर बल देना था। जनवरी 1982 में घोषित 20 सूत्रीय कार्यक्रम में परिवार कल्याण कार्यक्रम को शामिल किया गया था। इस कार्यक्रम में परिवार नियोजन को ऐच्छिक आधार पर स्वीकृत जन-आन्दोलन कहा गया है। लघु परिवार मानक के महत्व के बारे में जनसंचार तथा मौखिक संचार साधनों द्वारा जनता में चेतना उत्पन्न करने की आवश्यकता है। जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने में स्त्री साक्षरता और शिक्षा की भी एक निर्णायक भूमिका हो सकती है।

उत्पादन में वृद्धि को जनसंख्या वृद्धि द्वारा आत्मसात किए जाने के कारण आज आर्थिक विकास की नीतियाँ प्रभावकारी साबित नहीं हुई हैं। स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य विज्ञान की अवस्थाओं में सुधार के कारण मृत्यु दर कम हुई है। विकास तथा जनसंख्या के बीच असन्तुलन की ऐसी परिस्थिति में परिवार नियोजन आन्दोलन का राष्ट्रीय महत्व हो गया है। प्रभावकारी कार्यक्रम और पर्याप्त वित्तीय, मानव और भौतिक साधनों द्वारा समर्पित एक दृढ़ उद्देश्यपूर्ण सरकारी नीति ही परिवार नियोजन की सफलता के लिए आवश्यक शर्त है।

जनसंख्या नियन्त्रण के लिए निम्न सुझाव दिए गए हैं-

  1. परिवार नियोजन की पद्धतियों के बारे में व्यक्तिगत ज्ञान ।
  2. लघु आकार के परिवार को सामूहिक स्वीकृति ।
  3. परिवार नियोजन के लिए आवश्यक सामान और सेवाओं की तात्कालिक उपलब्धि।

सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिवेश चाहे जो हों, राष्ट्रीय जन्म दर में कमी लाना ही जनसंख्या नीति का निचोड़ है। परिवार नियोजन को जनसंख्या नियन्त्रण का एक प्रभावकारी उपाय बनाने में शासनिक दबाव और प्रयोग असफल प्रमाणित हुए हैं। जागरूकता द्वारा उत्पन्न स्वेच्छा ही केवल एक प्रभावकारी उपाय हो सकता है।

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Anjali Yadav

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