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व्यावसायिक चयन की विधियाँ | Methods of Vocational Choice in Hindi

व्यावसायिक चयन की विधियाँ | Methods of Vocational Choice in Hindi
व्यावसायिक चयन की विधियाँ | Methods of Vocational Choice in Hindi

व्यावसायिक चयन की विधियों का वर्णन कीजिए। 

व्यावसायिक चयन की विधियाँ (Methods of Vocational Choice)

व्यक्ति के शरीर की विशेषताओं को कार्य के उपयुक्त माना जाता है। साधारणतः कार्य के लिए सबसे पहले शरीर की उपयुक्तता देखी जाती है। विशिष्ट कार्य के लिए योग्य व्यक्ति का चयन करने से पहले उसकी अग्रलिखित चार विशेषताओं का परीक्षण अवश्य कर लिया जाता है-

1. प्रवीणता- नौकरी में भर्ती किये जाने से व्यक्ति का ‘उस कार्य में पूर्ण परिपक्व ज्ञान को उस व्यक्ति की प्रवीणता कहते हैं। जिन उद्योगों में पूर्ण प्रशिक्षित व्यक्तियों का चयन नहीं किया जाता है, उनमें कर्मचारियों का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है तथा श्रम-परिवर्तन अधिक होता है। इसलिए प्रवीणता का ज्ञान उद्योग के चयन की मनोवैज्ञानिक पद्धति का प्रमुख सोपान है।

2. कुशलता- कुशलता का अर्थ किसी कार्य के सीखने के लिए व्यक्ति विशेष की सामान्य स्थिति से होता है। सी० एल० हल के अनुसार- “कुशलता किसी व्यक्ति विशेष की वह सामान्य शक्ति है, जिससे वह नौकरी में सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान तथा चातुर्य सीख सके।”

व्यावसायिक सफलता तथा असफलता के लिए व्यक्ति में एक विशेष प्रकार की क्षमता निहित रहती है। कुशलता मनुष्य की वह शक्ति है, जिससे वह अपना प्रशिक्षण पूरा करता है तथा अपने कार्य में पूर्णरूप से चतुर हो जाता है। कुशलता दो प्रकार की होती है- (1) सामान्य बुद्धि, (2) विशिष्ट बुद्धि ।

3. अभिरुचि- कोई भी व्यक्ति किसी व्यवसाय के लिए तभी उपयुक्त हो सकता है, जब उसमें उस व्यवसाय के लिए अभिरुचि हो। अपनी अभिरुचि के अनुसार कार्य में यदि कर्मचारी नियुक्त किया जाता है तो वह अधिक से अधिक धन कमा सकता है। इसलिए चयन करने से पहले ही अभिरुचि का परीक्षण करना अत्यन्त आवश्यक है।

एच० डी० क्रिस्टन के अनुसार- “विशेष उद्योगों में निर्धारण मापनी के द्वारा अभिरुचि का मापन करना चाहिए। यदि कोई कर्मचारी किसी कार्य के करने में अभिरुचि रखता है तो उसे कहीं अधिक वेतन क्यों न मिले, वह उस कार्य को नहीं छोड़ेगा।”

आर० एस० वुडवर्थ के अनुसार- “मनुष्य की अभिरुचियाँ उसकी योग्यताओं के साथ ही चलती रहती हैं। जिस कार्य में मनुष्य की रुचि होती है, उस कार्य को करने की जन्मजात शक्ति भी उस मनुष्य में होती है। ” ई० के० स्ट्रांग के अनुसार- “व्यावसायिक अभिरुचि का कर्मचारी की इच्छा से है, जिससे वह अपनी नौकरी में किये जाने वाले कार्यों को पूरी लगन से करता है।”

फ्रायर के अनुसार- “अभिरुचि तथा योग्यता दो भिन्न तत्व हैं तथा इन दोनों में से किसी एक को देखने से दूसरे के विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।”

4. स्वभाव तथा चरित्र – किसी भी व्यवसाय में व्यक्ति की सफलता उसके चरित्र, स्वभाव तथा उसकी आदतों पर अत्यधिक निर्भर करती है। पी० एम० साइमण्ड्स के अनुसार- “स्वभाव, चरित्र तथा ईमानदारी ऐसे गुण हैं, जिनका व्यावसायिक चयन में अत्यधिक महत्व है। “

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Anjali Yadav

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