व्यावसायिक निर्देशन किस प्रकार देना चाहिए ? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
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व्यावसायिक निर्देशन देना (Imparting the Vocational Guidance)
व्यावसायिक निर्देशन देते समय निर्देशक को दो तत्व सामने रखकर चलना पड़ता है। पहला-व्यवसाय के लिए वांछित योग्यताओं की सूची अर्थात् अमुक व्यवसाय के लिए किस स्तर के स्वास्थ्य की आवश्यकता पड़ती है, कितनी और किस प्रकार की बुद्धि की आवश्यकता होती है। किस प्रकार की अन्य क्षमताओं, रुचियों और अभिरुचियों, शिक्षा, अनुभव आदि की आवश्यकता होती है। दूसरा, उस व्यक्ति में व्यवसाय के योग्य कितनी अनुकूलता है।
जहाँ तक व्यवसाय के अध्ययन की आवश्यकता है, इसके लिए पहले से ही एक सूची निर्धारित कर दी जाती है कि उसके लिए किस स्तर के स्वास्थ्य, बुद्धि, अनुभव, शिक्षा आदि की आवश्यकता होती है। प्रत्येक व्यवसाय के सम्बन्ध में प्रत्येक निर्देशक को इस प्रकार की सूचनायें तैयार रखनी चाहिए।
जहाँ तक व्यक्ति के अध्ययन का प्रश्न है, यह प्रश्न बड़ा जटिल है। व्यक्ति का अध्ययन बड़ी सावधानी से करना चाहिए। व्यक्ति के अध्ययन हेतु निम्न प्रणाली अपनायी जा सकती है-
(A) प्राथमिक साक्षात्कार (Initial Interview) –
निर्देशक को सर्वप्रथम सम्बन्धित बालक का एक प्राथमिक साक्षात्कार करना चाहिए। इस साक्षात्कार के द्वारा निर्देशक बालक के सामाजिक तथा आर्थिक वातावरण का अध्ययन कर सकेगा। साथ ही साथ वह बालक के स्वास्थ्य, नेत्र-ज्योति, स्वर, श्रवण शक्ति, उसका दिखावा (Appearance), उसके बाह्य सम्बन्ध (Dispositions) आदि का ज्ञान सरलतापूर्वक प्राप्त कर सकता है। सामान्य निर्देशक को इस साक्षात्कार से निम्नांकित तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए-
(1) छात्र का नाम, (2) जन्म तिथि तथा आयु, (3) माता-पिता का नाम, जाति, धर्म, (4) माता-पिता का व्यवसाय, (5) अन्य भाई-बहिनों की संख्या, (6) भाई-बहिनों में उसका क्रम, (7) माता-पिता तथा भाई-बहिनों की संख्या, (8) परिवार की कुल आय, (9) आय के कुल स्रोत, (10) वंशानुक्रमिक रोग, (11) शारीरिक अस्वस्थता, (12) विद्यालय जिनमें शिक्षा प्राप्त की, (13) मित्र, (14) रुचिकर खेल, (15) शौक, (16) अन्य तथ्य
(B) बौद्धिक स्तर का मापन –
छात्र के आर्थिक व सामाजिक वातावरण का ज्ञान प्राप्त कर लेने के पश्चात् निर्देशक को चाहिए कि वह बालक के बौद्धिक स्तर का माप करे। निर्देशन में बौद्धिक स्तर का बड़ा महत्व है। कभी-कभी तो केवल बौद्धिक स्तर के आधार पर भी व्यक्तियों का श्रेणी-विभाजन करते हुए देखा जाता है। उदाहरण के लिए, हम बर्ट (Burt) के श्रेणी विभाजन को ले सकते हैं। वे कहते हैं कि 150 बुद्धि-लब्धि वाले अच्छे प्रशासक, 130-150 बु० ल० वाले अच्छे टेक्नीशियन, निम्न श्रेणी के अच्छे प्रशासक, 115-130 बु० ल० वाले अच्छे दक्ष श्रमिक होते हैं।
बुद्धि के सम्बन्ध में मापन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि बुद्धि के दो तत्व (Factors) होते हैं—(1) सामान्य बुद्धि-तत्व (G. Factor), तथा (2) विशिष्ट बुद्धि-तत्व (S. Factor) । निर्देशक को दोनों ही तत्व की माप पृथक्-पृथक् रूप से करनी चाहिए। निर्देशक बुद्धि के सामान्य तत्व की माप अनेक बुद्धि परीक्षणों द्वारा कर सकता है। इसके लिए निर्देशक को विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का सहारा लेना आवश्यक है। उसे मौखिक बुद्धि-परीक्षण, सामूहिक बुद्धि-परीक्षण, शक्ति व गति परीक्षणों के अतिरिक्त क्रियात्मक परीक्षणों (Performance Tests) आदि सभी प्रकार के परीक्षणों की सहायता लेनी चाहिये निर्देशक को निम्नांकित परीक्षणों का प्रयोग करना चाहिए- (i) Verbal Intelligences Test, (ii) Bhatia’s Battery of Performances, (iii) Non-verbal Intelligence test; (iv) सोहन लाल का सामूहिक बुद्धि
परीक्षण विशिष्ट तत्वों के मापन के लिए निर्देशक को निम्नलिखित विशिष्ट योग्यता की माप को अलग-अलग अपनाना चाहिए, जिनका विवरण निम्न प्रकार है-
- कला योग्यता- इसके लिए The Me Adory art test’ प्रमुख है।
- संगीत योग्यता- ‘Sea Shore Musical Test’ प्रमुख है।
- यान्त्रिक योग्यता- इसके लिए निम्नलिखित परीक्षणों का प्रयोग किया जाना चाहिए-
- (a) Detroit mechanical aptitude test.
- (b) Minnesota mechanical assembly test.
- (c) Stenquist test for mechanical aptitude.
- (d) ‘O’. Rourke mechanical aptitude test.
- (e) Paperl and penci test of mechanical aptitude test.
(iv) लिपिक योग्यता- इसके लिए निम्नलिखित परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है-
- (a) Thurston test in clerical work.
- (b) Detroit clerical aptitude test.
- (c) Minnesota vocational test for clerical workers.
(C) रुचि का मापन –
रुचि मापन के माध्यम से यह ज्ञात किया जाता है कि किसी व्यक्ति में कोई कार्य करने की रुचि है या नहीं। इसके लिए निर्देशक विभिन्न रुचि तालिकाओं का प्रयोग कर सकता है-
- हेपनर की व्यावसायिक रुचिलब्धि (Hepner’s V. I. quotient)।
- स्ट्रांग महोदय की व्यावसायिक रुचि परिसूची (Strong’s vocational interest blank)
- अभिरुचि अनुसूची थर्सटन (Thurston interest schedule)।
- मैनसन व्यावसायिक अभिरुचि सूची (Manson’s occupational interest blank)।
- क्लीटन की व्यावसायिक रुचि तालिका (Clecton’s V. I. quotient) ।
- ओबरटन व्यावसायिक अभिरुचि अनुसूची (Oberten vocational interest inquiry)।
- कूडर का अधिमान रिकार्ड (Kuder’s preference record) ।
- ली-थॉर्प अनुसूची (Lee-Thorpe inventory)।
- गिलफोर्ड-जिमरमैन अभिरुचि सर्वे (Guilford-Shneedman-Zimmerman interest survey)
- गोरस्टान अभिरुचि प्रश्नावली (Gorreston and Symond’s interest questionnaire)
(D) व्यक्तित्व का मापन
बुद्धि के दोनों पक्षों की रुचियों का मापन करने के उपरान्त, निर्देशन प्रदाता को बालक के व्यक्तित्व का मापन भी करना चाहिए। व्यक्तित्व का मापन करने के लिए निर्देशक निम्नलिखित विधियों का प्रयोग कर सकता है-
1. व्यक्तित्व सूचियाँ (Personality Inventors) –
- रुचि माप सूची (Interest Inventory)
- अभिवृत्ति माप सूची (Attitude Inventory)
- समायोजन मूल्यांकन सूची (Adjustment Inventory),
- व्यक्तित्व वर्गीकरण सूची (Personality Inventory),
- शीलगुण माप सूची (Amicable Inventory),
- मूल्यमाप सूची (Value Inventory)
2. प्रक्षेपण विधियाँ (Projective Technique)
- रोर्शा का स्याही के पन्नों का परीक्षण (Rorschach Test),
- टी० ए० टी० (Thematic Apperception Test),
- सी० ए० टी० (Children Apperception Test),
- मनोनाटक विधि (Psycho-drama Technique),
- शटर्स वाक्य पूर्ति विधि (Sentence Completion Test),
- मनोविश्लेषण विधि (Psycho-analysis Technique),
- पी० एफ० स्टडी (P. E. Study),
- स्थिति परीक्षण (Situational Test),
- ट्रेवर, जान्सटन प्रक्षेपण परीक्षण (Travere Projective Test),
- शब्द साहचर्य परीक्षण (Words Association)
3. अन्य विधियाँ
- व्यक्ति इतिहास विधि (Case History Technique),
- निर्णय मापदण्ड विधि (Judgement Technique),
- अनुसूची (Inventory),
- साक्षात्कार (Interview),
- प्रश्नावली (Questionnative),
- अवलोकन (Observation),
- आत्मकथा विधि (Auto Criticism Technique),
- हस्तलेखन विधि (Hand Writing Test),
- समाजमिति विधि (Sociometry) ।
इस प्रकार के छात्र के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करने के उपरान्त, निर्देशक को निष्कर्ष निकालना चाहिए।
4. अन्तिम साक्षात्कार छात्र का समस्त प्रकार से मापन करने के उपरान्त अन्त में निर्देशक को एक साक्षात्कार छात्र से करना चाहिए। यदि निर्देशन में कोई शंका रह गई हो तो उस शंका का समाधान अन्तिम साक्षात्कार में कर लिया जाता है। अन्त में, निर्देशक को उस छात्र के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट लिखकर प्रस्तुत करनी चाहिए।
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